Tuesday, October 8, 2019

स्वच्छ भारत ,सुखी भारत।

 

Swachh bharat

ये प्रधानमंत्री मोदी का और पूरे भारत का बहुत बड़ा सपना है। 'स्वच्छ भारत अभियान ' की शुरुआत २ अक्टूबर २०१४ को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती पर की गयी। महात्मा गाँधी की जयंती पर ही इस अभियान को इसलिए शुरू किया गया है क्योकि गाँधी जी ने ही सबसे पहले स्वच्छ भारत का सपना देखा था। इस अभियान को दो भागों में बाँटा गया है। एक स्वच्छ भारत अभियान ग्रामीण और दूसरा स्वच्छ भारत अभियान शहरी। इस अभियान का लोगो गांधीजी के चश्मे को बनाया गया है। और इस अभियान की एक टैग लाइन भी जारी की गयी है ,एक कदम स्वच्छता की ओर।

सन २०१९ में देश बापू की १५०वी जयंती मना रहा है और गांधीजी अपने चश्में से बने लोगो से हम सबको देख रहे हैं कि उनका स्वच्छ भारत का सपना कितना पूरा हुआ और कौन कितनी कोशिश कर रहा है भारत को स्वच्छ रखने की। हालांकि आजादी के बाद जितनी भी सरकारे आयी सभी ने अपने -अपने स्तर पर कुछ न कुछ कार्य किये हैं और सभी अभिनंदन के हकदार हैं लेकिन मोदी सरकार ने लोगों में सफाई के प्रति जनजागरण का काम किया है।   

इस अभियान के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश की गयी है खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। गाँवो में शौचालयों का हर घर में निर्माण कराया गया है। और गाँव के बाहर सार्वजनिक शौचालयों को बनवाने के लिए पैसे सीधे गाँव प्रधान के पास पहुँचाया गया है इस प्रावधान से भ्र्ष्टाचार की गुंजाइश भी न के बराबर रह गयी है। गाँव में शौचालयों के बनने से महिलाओं से सम्बन्धित बहुत बड़ी समस्या का समाधान हो गया है उनके स्वास्थ्य की दृष्टि से भी ये विशेष महत्व रखता है। 

शहरों में भी सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। पहले के वक्त में लोग इधर -उधर परेशान होकर घूमते फिरते थे खासकर महिलाओं को घर से बाहर काफी परेशानिओं का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब जगह -जगह सुलभ शौचालयों का निर्माण कराया गया है। लेकिन अभी भी शौचालयों की सफाई और पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। इसलिए अभी हमें इन समस्याओ के समाधानों पर भी ध्यान देना होगा जिससे लोगों के स्वास्थ्यय का ध्यान रखा जा सके। क्योकि स्वच्छ भारत का उद्देश्य ही स्वस्थ्य भारत है। 

 

हमारे देश में लोगो को गली -मोहल्लों को साफ रखने की आदतों में भी सुधार करना होगा। सड़कें बनाने का काम तो सरकार का है किन्तु उसे स्वच्छ रखने का कार्य तो हम सभी को मिलकर करना होगा। लोगों को गलियों में कूड़े ऐसे ही फ़ेंक देने की आदतों में सुधार लाना होगा गलियों में पान खाकर दीवारों पर थूकना बंद करना होगा और हमें सफाई के प्रति जागरूक होना होगा क्योकि ये काम जन सामान्य का काम है। गंदगी दूर कर देश सेवा करना हमारा कर्तव्य है।

ज्यादातर देखने में आता है कि जब भी हम कहीं बाहर घूमने किसी हिल स्टेशन या बीच पर जाते हैं तो खाने -पीने के सामान के रैपर बॉटल्स कप्स आदि ऐसे ही फ़ेंक देते हैं जिससे वहाँ की ख़ूबसूरती तो खराब होती ही है बल्कि उससे ज्यादा प्रकृति को कितना नुकसान पहुँचा रहे हैं इसका अंदाजा भी आप लोगों को उस वक्त नहीं लग पाता है। आप खूबसूरत जगह देखने जाते हो और उस जगह को गन्दा करके लौटते हो हो तो इस तरह तो पूरे भारत में कोई भी स्थान स्वच्छ बचेगा ही नहीं। हमें अपनी इन आदतों को भी छोड़ना होगा। 

 

कचरे के उपुयक्त प्रबंधन के लिए सरकार ने कई कदम उठाये हैं उसमे कचरे को तीन हिस्सों में बांटना शामिल है -१ बायोडीग्रेवाल २ घरेलू कचरा और ३ सूखा कचरा। जगह -जगह सार्वजनिक स्थानों पर डस्टबिन रखना ,प्लास्टिक की बोतल वगैरह अलग से इकट्ठा करना, कचरा बीनने वालों को पेमेंट करना शामिल है। लोगों में व्यवहारिक परिवर्तन लाने के प्रयास करना आदि। 

क्या सफाई सिर्फ सफाईकर्मियों का ही जिम्मा है हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं। हम सिर्फ इसे सफाई कर्मचारियों के भरोसे कैसे छोड़ सकते हैं। हमें अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा बेशक पुरानी आदतों को छोड़ने में थोड़ा वक्त लगता है परन्तु अपनी भलाई के लिए और विश्व में अपने देश की स्वच्छ छवि बनाने के लिए हमें ऐसा अवश्य ही करना होगा। हम सभी भारतीयों को सफाई को एक नियम नहीं बल्कि अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेना चाहिए जब हम बदलेंगे तभी तो देश बदलेगा।

[ये लेखक के अपने विचार हैं ]  

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