शारदीय नवरात्रि {नवरात्रि २०१९ }२९ सितम्बर दिन रविवार से शुरू हो रहे हैं नवरात्रि के साथ ही इस अक्तुबर महीने के त्यौहारों की शुरुआत हो जाएगी। आदिशक्ति दुर्गा की पूजा ,आराधना ,साधना और उनमें समर्पण का पर्व नवरात्रे कहलाता है जिसमें माँ दुर्गा के ९ रूपों की ९ दिनों तक पूजा -अर्चना की जाती है। देवी माँ के ये ९ दिन बहुत ही सुखद फलदायी होते हैं। पुराणों में मान्यता है की प्रभु श्री राम ने लंका विजय के १० दिन पूर्व इन्हीं नवरात्रों में माता भगवती की पूजा अर्चना की थी। इन ९ दिनों में माँ दुर्गा के ९ रूपों की पूजा की जाती है.
नवरात्रि हिन्दुओं का एक मुख्य और जीवन को सात्विकता और ऊर्जा से भरने वाला त्यौहार है नवरात्रि वर्ष में चार बार आते हैं। पौष ,चैत्र ,आषाढ़ ,आश्विन ,प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि में तीन देवियों दुर्गा ,महालक्ष्मी और महासरस्वती माताओं के ९ रूपों की आराधना की जाती है हर दिन अलग -अलग रंग के परिधान ,अलग -अलग भोग लगाये जाते हैं। ।
शारदीय नवरात्रि को महानवरात्रि भी कहते हैं। ये नवरात्रि शरद माह में आते हैं ,इसलिए इन्हें शारदीय नवरात्रि भी कहते हैं। इसी नवरात्रि में विभिन्न स्थानों पर माँ दुर्गा की सुन्दर -सुन्दर प्रतिमा बनाकर विराजित की जाती हैं,तथा उनका विधिपूर्वक पूजन किया जाता है. रात्रि शब्द सिद्धि का प्रतीक है। भारत में प्राचीन काल से ही हवन ,यज्ञ आदि किये जाते रहे हैं हमारे ऋषि -मुनियों ने दिन की अपेक्षा रात्रि को ज्यादा महत्वपूर्ण माना है ,तभी तो हमारे हिन्दू धर्म में दीपावली ,होलिका दहन ,शिवरात्रि और नवरात्रि आदि उत्सवों को रात्रि में ही मनाया जाता है। गाँवों में आज भी हवन आदि रात्रि में ही किये जाते हैं.लेकिन आजकल शहरों में लोग दिन में ही पूजा -पाठ करा लेते हैं। रात्रि में प्रकृति के बहुत सारे अवरोध ख़त्म हो जाते हैं मंदिरों में घंटे और शंख कीआवाज के कम्पन से दूर -दूर तक वातावरण कीटाणुओं से मुक्त हो जाता है. हवन और यज्ञ से जो धुआँ निकलता है उससे भी वातावरण शुद्ध हो जाता है।
नवरात्रि उत्सव के साथ मौसम में भी परिवर्तन शुरू हो जाता है शरद ऋतू का आगमन हो जाता है। नवरात्रि का सिर्फ धर्म और आध्यात्म की दृष्टि से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्व है ऋतु बदलने के साथ बहुत से रोगों का भी आगमन हो जाता है जिससे हम शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते हैं। व्रत रखकर मनुष्य अपने शरीर को शुद्ध करते हैं और ऊर्जा प्राप्त करते हैं जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है। स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ्य मन का निवास होता है और स्वस्थ्य मन में ही माँ का निवास होता है।
या देवी सर्वभूतेषु
शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्-तस्यै नमस्-तस्यै,
नमस्-तस्यै नमो नमः
शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्-तस्यै नमस्-तस्यै,
नमस्-तस्यै नमो नमः
Adbhud,gyanvardhak
ReplyDeleteHarry
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