Monday, October 28, 2019

हिंदुत्व पर प्रहार और कीमत

हिंदू हिंदुस्तान में रहकर भी इतना असहाय और निरीह क्यों हो गया है ?आखिर क्या कमियाँ हैं जिसके कारण ये सब हो रहा है ?कमलेश तिवारी हत्याकांड एक बहुत ही बड़े षड्यंत्र की दस्तक दे रहा है,जो हिंदुस्तान में हिन्दुओं के ही खिलाफ रचा जा रहा है.आखिर हिन्दुओं के साथ ऐसी घटनाएँ क्यों घट रही हैं देश के अंदर ऐसी कौन सी विघटनकारी शक्तियाँ हैं जो हिंदुओं के खिलाफ काम कर रही हैं। जमीयत ए उलेमा हिन्द के प्रवक्ता ने कहा ,जमीयत कमलेश तिवारी के हत्त्यारों को मुफ़्त में कानूनी मदद देगी और उनका सारा खर्च उठाएगी। यह खबर उन लोगों के मुँह पर तमाचा है जो भारत में गंगा -जमुनी तहजीब और धर्मनिरपेक्षता की बड़ी -बड़ी बातें करते हैं किसी संस्था द्वारा इस तरह की मदद हिदुस्तान में इस्लामिक कटटरपंथ को बढ़ावा देना है।  सवाल यहाँ ये भी है की क्यो हिन्दू खुद अपने जात -पात ,ऊँच -नीच की विचारधारा में फँसा पड़ा है।

  

भारत में ऐसी हत्या अभी तक नहीं हुई थी.एक राजनैतिक नेता अकबरुद्दीन ने हिन्दुओं का नरसंहार करने की खुली धमकी दी लेकिन फिर से किसी ने कोई प्रतिकिर्या नहीं दी । जब आजम खान ने राम और सीता पर टिप्पणी की ,अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर चल रही बहस पर कॉंग्रेश ने तो खुद हिन्दू होकर भगवान राम को काल्पनिक करार दे दिया। ममता बनर्जी बंगाल में दुर्गा पूजा पर रोड़े अटकाती है ,तो कहने का मतलब ये है की आखिर क्या ये वोट बैंक की राजनीति हिंदुस्तान में हिन्दुओं को ही अल्पसंखयक बना कर दम लेगी।

 

हिन्दू कोई धर्म नहीं बल्कि एक जीवन पद्यति है,जो ५००० से भी ज्यादा वर्षो से निरंतर चली आ रही है जो अपनी प्राचीनता आध्यात्मिकता ,सहिषुणता एवं विविधता में एकता के लिए जानी जाती है सनातन धर्म परम्परा प्राचीन काल से अपनी उदारवादिता और वसुधैव कुटुंबकम की भावना के लिए वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध है।

 

अब से २५ -३० साल पहले कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ उसे पूरे देश ने चुपचाप बर्दाश्त कर लियाकश्मीरी हिन्दू अभी भी शरणार्थी हैं  देश में लगभग ७०%आबादी हिन्दू है ,इस देश में कोई भी मुसलमान चाहे वो कोई नेता हो ,फिल्मी कलाकार हो,या फतवे जारी करने वाले मौलवी हो या कोई आम नागरिक हो ,वे चाहे कुछ भी किसी हिन्दू देवी -देवता के बारे में या किसी खास परिस्तिथि या किसी व्यक्ति विशेष के बारे में अभद्र टिप्पणी करे उनके लिए कोई सजा नहीं है, लेकिन अगर कोई हिन्दू इनके मजहब के बारे में कोई टिप्पणी कर दे तो हत्त्यारे सूरत से आएंगे। हिंदुओं को असहनशील कहा जाने लगेगा। 

 

सवाल यह है की इतने बड़े देश में जहाँ हिंदू बहुसंख्यक हैं और उनकी ही पार्टी मानी जाने वाली भाजपा की सरकार है वहाँ हिन्दुओ की ही सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। काफी वक्त से एक ट्रेंड चला आ रहा है कि किसी भी दूसरी जाति जैसे मुस्लिम या कोई अन्य के सन्दर्भ में कोई भी मामला आते ही कुछ नेता वहाँ उस परिवार के पास झूटी सहानुभूति प्रदर्शित करने पहुँच जाते हैं लेकिन कमलेश तिवारी की हत्या पर न तो राहुल और पिरयंका गाँधी वहाँ सहानुभूति प्रदर्शित करने गए  ,न किसी ने कैंडल मार्च निकाले इसे आप किस दृष्टि से देखेंगे। ये भी एक विचारणीय विषय है 

 

नरेंद्र मोदी की सरकार [२०१४ ]आने से अभी तक तो ये माना जा रहा था की अगर केंद्र में भाजपा की सरकार आ गयी तो तो मुसलमानों पर अत्याचारों की बाढ़ आ जाएगी और देश में उनका जीना दूभर हो जायेगा। लेकिन क्या अभी तक पिछले ५-६ सालों में ऐसा कोई जुल्म ढाया गया है जिससे ये कहा जा सके की नरेंद्र मोदी सरकार मुस्लिम विरोधी सरकार है बल्कि इसके विपरीत यह साबित हुआ है की मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक बिल लाकर और उसे कानून बनाकर जो काम किया है वो तो उनकी सबसे ज्यादा समर्थक माने जाने वाली पार्टी ने भी नहीं किया तो फिर क्यों नरेंद्र मोदी सरकार को मुसलमानों का विरोधी कहा जा रहा था। 

 

यहाँ बात सिर्फ कमलेश तिवारी हत्याकाण्ड की नहीं है बल्कि हिन्दू बहुसंख्यकवाद की है। अगर नरेंद्र मोदी सरकार को हिन्दुओं का समर्थक माना जाता है तो फिर उनके ही राज में हिन्दुओं पर इतने संकटों के बादल क्यों गहरा रहे हैं। पिछले कुछ समय से लगातार देश के विभिन्न भागों में हिन्दुओं के मारे जाने की खबरें आ रही हैं। आखिर क्यों इन हत्याओं की पीछे की वजह और साजिश की गहराई से जाँच और कार्यवाही नहीं की जा रही है ?और ना ही ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाये जा रहे हैं। 

 

अभी साल दो साल पहले ये देश हमारे देश के कुछ बुद्धिजीवी लेखक पत्रकार ,फिल्मी कलाकार और कुछ मशहूर हस्तियाँ को यहाँ असहिषुणता नजर आने लगा था और इस देश में रहने से उनके जीवन को बहुत बड़ा खतरा पैदा हो गया था किंतु अब जब हिन्दुओं के साथ इस तरह की घटनाएँ होती हैं तो आज तक किसी भी हिन्दू के लिए ये देश कभी भी असहिषुण नहीं हुआ.अगर बहुसंख्यक होकर भी हिन्दुओं के साथ इस तरह की घटनाएँ हो रही हैं तो फिर कैसे नरेंद्र मोदी सरकार को एक हिन्दू समर्थक पार्टी का ख़िताब दिया जा सकता है?

 
 

एक प्रश्न यहॉं देश की विपक्षी पार्टी के उन नेताओं के ऊपर भी उठता है की जब भी किसी मुस्लिम या एस सी एस टी या कोई और कास्ट के साथ किसी भी घटना पर उस पीड़ित व्यक्ति के घर नेताओं की सहानुभूति की नौटंकी करने के लिए जो जमावड़ा लग जाता है वे सारे नेता अब कहा चले गए जो किसी एक ने भी वहाँ जाकर शोक व्यक्त नहीं किया। क्या कमलेश तिवारी इनकी नजर में भारतीय नहीं है या इसलिए  कि इस घटना से कोई राजनैतिक रोटियाँ नहीं सिक पायेंगी?

 

प्रधानमंत्री मोदी का देश की जनता के लिए एक ही वादा रहा है -सबका साथ सबका विकास। और इसके लिए उन्होंने देश के गरीब और अमीर हर तबके के वर्ग के लिए हिन्दू हो या मुसलमान सभी के विकास और उन्नति के लिए अवश्य ही बहुत सारे काम किये हैं ,जिसे भारत की जनता समझ भी रही है और इसी एक वजह से उनका समर्थन भी कर रही है किंतु सवाल ये है कि अगर भाजपा की सरकार और मोदीजी के रहते हुए हिंदुओं की इसी तरह हत्त्याए होती रहीं और उन्हें जड़ से खत्म करने के लिए इसी तरह षड्यंत्र रचे जाते रहे जाते रहे और वे लोग कामयाब भी होते रहे तो वो दिन ज्यादा दूर नहीं जब हिन्दू हिंदुस्तान में ही अल्पसंख्यक हो जायेंगे।अंत में मै बस यही कहना चाहूँगी कि भारत एक धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र है हम सभी को इस भावना का सम्मान करना चाहिए।

धन्यवाद  

{ये लेखक के अपने विचार हैं }

Friday, October 18, 2019

दिल्ली की जानलेवा प्रदूषित आवोहवा

पर्यावरण प्रदूषण निवारक प्राधिकरण [इपका ]ने मंगलवार को दिल्ली -एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानि [गैप ]लागू कर दिया। दिल्ली सरकार ने पहले ही तीनो निगम ,डीडीए जैसे तमाम विभागों को पहले से ही इसकी जानकारी दे दी गई थी। पर्यावरण प्रदूषण निवारक प्राधिकरण के प्रमुख भूरेलाल ने बताया ,एनसीआर में डीजल जेनरेटर ,बिना जिग जैग तकनीक वाले ईट भट्टों ,होटल रेस्टोरेंट में कोयला व लकड़ी के चूल्हों पर रोक लगेगी। 

 
 
 

हवा की  गुणवत्ता

अक्तूबर के महीने में हर साल हवा की गुणवत्ता का स्तर इतना नीचे गिर जाता है कि साँस लेना भी दूभर हो जाता है पिछले सालों की तरह इस साल भी पिछले एक हफ्ते से दिल्ली की आबोहवा बद से बदतर हो गयी है। केंद्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के मुताबिक मंगलवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक २७० अंक पर रहा ,जो खराब श्रेणी का है। 'सफर "का अनुमान है {केंद्र द्वारा संचालित संस्था }की आने वाले समय में ये और भी भयानक रूप लेगी।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मंगलवार को प्रदूषण का स्तर इतना नीचे गिर जाने पर अधिकारियों को आड़े हाथों लिया । परन्तु सवाल यह उठता है की जब सारे दिशा -निर्देश पहले ही जारी कर दिए गए थे तो समय रहते उन सभी गतिविधियों पर रोक क्यों नहीं लगायी गयी। पिछले ५ सालों में केजरीवाल सरकार आड -इवन का खेल ,खेल रही है कि इससे दिल्ली का प्रदूषण कम होगा परन्तु पिछले साल सुप्रीम कोर्ट तक ने कहा की,आड -इवन से प्रदूषण को कम करने में कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। 

 
 
प्रदुषण पर लापरहवाही 

 प्रदूषण की वजह से दिल्ली में लगातर साँस और दमा के मरीजों की संख्या वर्ष दर वर्ष बढ़ती जा रही है लोगों की सेहत पर खराब हवा के प्रभाव की तुलना एक दिन में १५ से २० सिगरेट पीने से की जा सकती है। लेकिन सरकार इसके लिए कोई कारगर कदम नहीं उठा पा रही है। दिल्ली में वायु की गुणवत्ता का खराब होने का ठीकरा सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा से आने वाले पराली {फसल काटने के बाद जमीन में जो जड़े खड़ी रह जाती हैं }के धुएँ के ऊपर फोड़ दिया जाता है। लेकिन केंद्र द्वारा संचालित संस्था ''सफर ''के आँकड़ो के मुताबिक दिल्ली की आबोहवा को प्रदूषित करने में पराली का योगदान सिर्फ ५ फीसदी है। जिसका मतलब ये हुआ की ९० %कारण स्थानीय है जिनका हल स्वयं दिल्ली सरकार को ही निकालना होगा। 

 
 
प्रदुषण पर प्रतिक्रिया 

देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ गया है की अब यह रहने लायक नहीं बची है यह विशेष टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने की उन्होंने कहा कि दिल्ली में जिस तरह के हालात हो गए हैं उससे यह तो साफ है कि यह शहर अब काम करने और रहने लायक नहीं बचा है। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि मुझे शुरुआत में दिल्ली अच्छी लगी लेकिन अब ऐसा नहीं है। मै रिटायर होने के बाद दिल्ली में नहीं रहूँगा। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर चिंतित हाईकोर्ट ने कहा ,लगता है जैसे गैस चैम्बर में रह रहे हैं। 

 
 
ठोस कदम उठाने की ज़रूरत 

दिल्ली सरकार को दिल्ली की आबोहवा को कुछ दुरुस्त कदम उठाने की जरूरत है सिर्फ उठाने की ही नहीं उन्हें क्रियान्वित  करने की भी। दिल्ली के प्रदूषण में अहम योगदान बाहरी राज्यों से आने वाले करीब ४५ लाख गाड़ियों जिसमे सामान पहुंचाने वाले ट्रकों का है, क्योंकि ज्यादातर गाड़ियाँ डीज़ल और पैट्रोल से चलती हैं इसलिए बाहर से आने वाले हैवी वाहनों पर रोक लगना बहुत जरूरी है क्योंकि दिल्ली में बाहर से आने वाले वाहनो में पंजाब ,हरियाणा उत्तरप्रदेश के वाहनों की काफी संख्या है । 

{२ }दिल्ली के प्रदूषण में दूसरा बड़ा योगदान दिल्ली के उद्योग और लैंडफिल साईट का है.इसमें अकेले भलस्वा ,गाजीपुर और ओखला के लैंडफिल साईट से निकलने वाला धुआँ ,उड़ता कूड़ा -कचरा और कचरे से बिजली बनाने वाले कारखाने का काफ़ी बड़ा योगदान है 

३ ]दिल्ली की आबोहवा को जहरीला बनाने में पड़ोसी राज्यों से आने वाले धूल और धुयें का भी काफी योगदान है। हर साल दिल्ली में पराली या भूसे के जलने के कारण दिल्ली वालों को प्रदूषित हवा में साँस लेनी पड़ती है ये नजारा दिल्ली में हर साल देखने को मिलता है जब खरीफ की फ़सलें काटी जाती हैं और अवशेषों को जलाया जाता है ।प्रदूषण का एक और कारण है राजस्थान से आने वाली धूल भरी हवाएँ। 

इन दोनों ही समस्याओं का सरकार चाहे तो समाधान निकाल सकती है। मैने सुना है कि मिडिल ईस्ट में फ़सलों के बचे हुए अवशेषों की मांग है किसान इससे कुछ एक्स्ट्रा इनकम भी कर पाएंगे लेकिन सरकार ने इस पर भी रोक लगाई हुई है कुछ  ऊटपटाँग नियम बनाये हुए हैं ऐसे में सरकार का फर्ज है कि किसानों को हर संभव मदद करे और आधुनिक तकनीक उपलब्ध कराये। सरकार और नेताओं ने मिलकर अरावली की की पहाडिओं को लगभग खत्म ही कर दिया है। वरना पहले राजस्थान से आने वाली धूल को अरावली की पहाड़ियाँ रोक लिया करती थीं। इसलिए अब सरकार को उस जगह पर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए 

प्रदूषण का एक और सबसे बड़ा कारण है रिहाइशी इलाकों में लगातार चलने वाला कंस्ट्रक्शन कार्य और उस पर बरती जाने वाली लापरवाही। गली -मोहल्ले में सालों साल कहीं न कहीं भवन निर्माण व मैट्रो का कार्य ,सड़कों का निमार्ण आदि में खूब लापरवाही बरती जाती है सरकार को चाहिए की ऐसे अधिकारियों से जवाबदेही होनी चाहिए जिनके कार्यक्षेत्र में ये सब काम आते हैं 

पिछले ५ सालों में सड़कों की हालत बदतर हो चुकी है टूटी -फूटी और गड्ढो से भरी हुई सड़के पूरी दिल्ली में देखा जाना आम बात है निगमों में भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों की ही सरकार है परन्तु ऐसा लगता है की न तो किसी को दिल्ली की और न ही दिल्ली की आबोहवा की कोई फिक्र है ,बस सब अपने -अपने हित साधने में लगे हुए हैं। सबसे ज्यादा दुःख की बात तो ये है कि इस बार दिल्ली में केंद्र की भाजपा सरकार के सातों सीटों पर सांसद चुनकर आये हैं लेकिन फिर भी दिल्ली को उपेक्षा झेलनी पड़ रही है।

दीपावली के बाद

जैसा कि उम्मीद थी प्रदूषण का स्तर अपने सबसे उच्च स्तर वायु गुणवत्ता सूचकाँक ८०० -१००० ,३ नवम्बर २०१९ दिन रविवार ,पर पहुँच गया। दिल्ली के हालात इस वक्त बहुत खराब हैं ,धुआँ घरों के अंदर तक पहुँच गया है लोगों का दम घुट रहा है ,साँस लेने में तकलीफ हो रही है ।भीड़ भरे प्रदूषित चोराहों पर एयर प्यूरीफायर लगाने की पायलट परियोजना असफल हो गयी है ।  ऑड -इवन शुरू हो चुका है। कल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगाई है ,लेकिन नेता हैं कि नाटकबाजी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री तक ऑड -इवन के विरोध में आकर अपना चालान कटवा रहे हैं ,इस बात से ही आम आदमी समझ सकता है कि केंद्र की भाजपा सरकार दिल्ली के प्रदूषण को लेकर कितनी गम्भीर है।सरकारों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए क्योकि वे नागरिकों के जीने के अधिकार का हनन कर रही हैं.   

 
 
निष्कर्ष 

केजरीवाल सरकार को अब जब चुनाव जैसे -जैसे नजदीक आ रहे हैं तो सब कुछ फ्री में बाँटकर लोगों को बेवकूफ बनाकर अपना हित साधना चाहते हैं पिछले ५ सालों में केजरीवाल सरकार को कुछ भी याद नहीं आया किन्तु जब प्रदूषण का स्तर इतना गिर गया है तो अब अचानक सड़को पर छिड़काव करवाया जा रहा है ,ओड -इवन लागू किया जा रहा है कंस्ट्रक्शन कार्यों में नियमों का उललंघन करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जा रहा है कहीं -कहीं लोंगो को बहकाने के लिए सड़कें बनवायी जा रहीं हैं । पराली पर हायतौबा मचायी जा रही है। काश ,ये सारे कदम दिल्ली सरकार समय रहते उठाती तो शायद दिल्ली की और दिल्ली वालों की प्रदूषण की वजह से इतनी तकलीफें न उठानी पड़ती। और खासकर ऐसे मुख्यमंत्री ,जो खुद साँस की बीमारी से ग्रस्त हैंउनसे ऐसी उम्मीद न थी.  

{ये लेखक के अपने विचार हैं }         

Friday, October 11, 2019

राफेल -ख़त्म हुआ इन्तजार

राफेल -ख़त्म हुआ इन्तजार 

Fighter jet

भारत ने पहला राफेल प्राप्त किया 

८ अक्टूबर २०१९ ,मंगलवार को वायु सेना दिवस के मौके पर भारतीय वायुसेना को उसका बहुप्रतीक्षित पहला रफाल मिल गया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने फ्रांस के मेरिनेक एयरबेस पर औपचारिक रूप से राफेल विमान प्राप्त किया। उन्होंने इस प्रक्रिया  को पूरे विधि-विधान और पूजा -पाठ के साथ पूरा किया। रक्षामंत्री ने विमान पर ॐ का तिलक लगाया तथा नारियल और पुष्प अर्पित किये। विमान के पहियों के नीचे नीबू भी रखे गये.

भारत और फ्रांस के बीच राफेल डील  

इस मौके पर फ़्रांस के शीर्ष सैन्य अधिकारी तथा राफेल के विनिर्माता डसाल्ट एविएशन के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे. भारत ने करीब ५९ हजार करोड़ रूपये मूल्य पर ३६ राफेल लड़ाकू जेट विमान खरीदने के लिए सितम्बर २०१६ में फ़्रांस के साथ अंतर -सरकारी समझौता किया था,  जिसका ये पहला विमान था ४ विमान अगले साल मई तक मिलेंगे और बाकि उम्मीद है की ,वे भी तय समय सीमा के अंदर ही मिल जायेंगे । . 

रक्षा मंत्री की शस्त्र पूजा 

रक्षामंत्री ने कहा ,आज विजयदशमी है और वायुसेना दिवस भी है । आज का दिन प्रतीकात्मक है। इससे वायुसेना की शक्ति में वृद्धि होगी। हमारा ध्यान वायुसेना को समृद्ध करने और उसे बढ़ाने पर है।। उन्होंने कहा, मै फ़्रांस के सहयोग का शुक्रगुजार हूँ ।रक्षामंत्री पिछले कई सालों से विजयदशमी पर शस्त्र पूजा करते आ रहे है लेकिन इस बार ये पूजा उन्होंने विदेशी धरती पर की और वो भी राफेल की. इस बात से एक ये सन्देश भी देने की कोशिश की गयी है की हम दुनिया के किसी भी कोने में चले जाये किन्तु हमें अपनी संस्कृति को कभी नहीं भूलना चाहिए। पूजा के रक्षा मंत्री ने २५ मिनट की शोटी भी ली।  

राफेल का मतलब 

इसे फ़्रांसिसी भाषा में रफाल कहते हैं, इसका अर्थ होता है तूफान '.रफाल में मिटियर और स्काल्प मिसाइल लगीं हैं।,इससे भारतीय वायुसेना को अद्वितीय मारक क्षमता हासिल होगी राफेल के टेल नंबर आरबी -०१ का नाम भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया के नाम पर रखा गया है जिन्होंने इस रक्षा सौदे में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी।

राफेल की विशेषताएँ 

राफेल विमान की सबसे बड़ी खूबी है इसकी स्पीड। इसकी अधिकतम स्पीड २,१३० किमी /घंटा और मारक क्षमता   लगभग ३७००किमी तक है। ये विमान २४०००किलो वजन उठाकर ले जाने में सक्षम है।१५० किमी ०की बियोड विजुअल रेंज मिसाइल ,हवा से जमीन पर मार करने वाली स्कैल्प मिसाइल को यूज़ कर सकता है यह दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है ,जो भारतीय वायुसेना की पहली पसन्द है. राफेल अत्याधुनिक हथियारों से लैस विमान है जिसे हर तरह के मिशन पर भेजा जा सकता है। यह विमान ७० से ७५%हमेशा किसी भी ओपरेशन के लिए तैयार रहता है परमाणु हथियार भी ले जाने में सक्षम है और ५ मिनट के अंदर किसी भी मिशन के लिए रेडी हो जाता है,और अपनी सीमा में रहकर ही पड़ोसी देश की सीमा के कई किलोमीटर तक वार कर सकता है । अगर बालाकोट हमले के समय राफेल हमारे पास होता तो पायलट अभिनंदन को पाकिस्तानी सीमा के अंदर जाकर अटैक न करना पड़ता । 

राफेल को खरीदने का उद्देश्य 

आखिर भारत को इस तरह विमान की ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी. यहाँ एक बात को समझना बहुत ही जरूरी है की,भारत एक शान्तिप्रिय देश है और वह किसी भी देश के साथ युद्ध नहीं करना चाहता। भारत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ अपने रिश्ते सौहार्दपूर्ण व मित्रवत रखना चाहता है  लेकिन उसके पड़ोसी उतने शांति प्रिय नहीं हैं कि जी उसे हथियारों की जरूरत न पड़े। भारत इन विमानों को अपने दोनों बॉर्डर चीन और पाकिस्तान की सीमा पर [१]अम्बाला एयरबेस ,[२ ]हसिमरा बसे स्टेशन पर तैनात करेगा। जिससे उसकी सीमाएं सुरक्षित रह सके। 

भारतीय पॉलिटिक्स में हंगामा 

२०१९ के आम चुनावों में भी राफेल को विपक्ष ने एक जोरदार आवाज के साथ ,और चौकीदार चोर है कहकर एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाया परन्तु कुछ खास काम नहीं आया.मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा सुप्रीम कोर्ट ने भी ३६ राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को क्लीन चिट देते हुए सौदे में अनियमितताओं के लिए सीबीआई जाँच की माँग करने वाली सभी याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा ,व्यक्तियों की यह अनुभूति ,कि सौदे में गड़बड़ी हुई है ,जाँच का आधार नहीं हो सकती। 

राफेल अफगानिस्तान और लीबिया में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर चुका है। फ्राँस को ७० के दशक में जब अपनी  वायुसेना को मजबूत करने के लिए इस तरह के आधुनिक विमानों की जरूरत महसूस हुई तब उसने कई देशों के साथ मिलकर राफेल विमानों का निर्माण शुरू किया लेकिन धीरे -धीरे सभी पीछे हट गए ,तब फ्राँस ने अपने अकेले दम पर राफेल लड़ाकू जेट विमानों का निर्माण किया। इसे भारतीय वायुसेना की माँग और जरूरत के के अनुसार फेरबदल भी किये गए हैं जब तक भारत पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो जायेगा इसकी टेस्टिंग चलती रहेगी । 

धन्यवाद।   

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Tuesday, October 8, 2019

स्वच्छ भारत ,सुखी भारत।

 

Swachh bharat

ये प्रधानमंत्री मोदी का और पूरे भारत का बहुत बड़ा सपना है। 'स्वच्छ भारत अभियान ' की शुरुआत २ अक्टूबर २०१४ को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती पर की गयी। महात्मा गाँधी की जयंती पर ही इस अभियान को इसलिए शुरू किया गया है क्योकि गाँधी जी ने ही सबसे पहले स्वच्छ भारत का सपना देखा था। इस अभियान को दो भागों में बाँटा गया है। एक स्वच्छ भारत अभियान ग्रामीण और दूसरा स्वच्छ भारत अभियान शहरी। इस अभियान का लोगो गांधीजी के चश्मे को बनाया गया है। और इस अभियान की एक टैग लाइन भी जारी की गयी है ,एक कदम स्वच्छता की ओर।

सन २०१९ में देश बापू की १५०वी जयंती मना रहा है और गांधीजी अपने चश्में से बने लोगो से हम सबको देख रहे हैं कि उनका स्वच्छ भारत का सपना कितना पूरा हुआ और कौन कितनी कोशिश कर रहा है भारत को स्वच्छ रखने की। हालांकि आजादी के बाद जितनी भी सरकारे आयी सभी ने अपने -अपने स्तर पर कुछ न कुछ कार्य किये हैं और सभी अभिनंदन के हकदार हैं लेकिन मोदी सरकार ने लोगों में सफाई के प्रति जनजागरण का काम किया है।   

इस अभियान के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश की गयी है खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। गाँवो में शौचालयों का हर घर में निर्माण कराया गया है। और गाँव के बाहर सार्वजनिक शौचालयों को बनवाने के लिए पैसे सीधे गाँव प्रधान के पास पहुँचाया गया है इस प्रावधान से भ्र्ष्टाचार की गुंजाइश भी न के बराबर रह गयी है। गाँव में शौचालयों के बनने से महिलाओं से सम्बन्धित बहुत बड़ी समस्या का समाधान हो गया है उनके स्वास्थ्य की दृष्टि से भी ये विशेष महत्व रखता है। 

शहरों में भी सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। पहले के वक्त में लोग इधर -उधर परेशान होकर घूमते फिरते थे खासकर महिलाओं को घर से बाहर काफी परेशानिओं का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब जगह -जगह सुलभ शौचालयों का निर्माण कराया गया है। लेकिन अभी भी शौचालयों की सफाई और पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। इसलिए अभी हमें इन समस्याओ के समाधानों पर भी ध्यान देना होगा जिससे लोगों के स्वास्थ्यय का ध्यान रखा जा सके। क्योकि स्वच्छ भारत का उद्देश्य ही स्वस्थ्य भारत है। 

 

हमारे देश में लोगो को गली -मोहल्लों को साफ रखने की आदतों में भी सुधार करना होगा। सड़कें बनाने का काम तो सरकार का है किन्तु उसे स्वच्छ रखने का कार्य तो हम सभी को मिलकर करना होगा। लोगों को गलियों में कूड़े ऐसे ही फ़ेंक देने की आदतों में सुधार लाना होगा गलियों में पान खाकर दीवारों पर थूकना बंद करना होगा और हमें सफाई के प्रति जागरूक होना होगा क्योकि ये काम जन सामान्य का काम है। गंदगी दूर कर देश सेवा करना हमारा कर्तव्य है।

ज्यादातर देखने में आता है कि जब भी हम कहीं बाहर घूमने किसी हिल स्टेशन या बीच पर जाते हैं तो खाने -पीने के सामान के रैपर बॉटल्स कप्स आदि ऐसे ही फ़ेंक देते हैं जिससे वहाँ की ख़ूबसूरती तो खराब होती ही है बल्कि उससे ज्यादा प्रकृति को कितना नुकसान पहुँचा रहे हैं इसका अंदाजा भी आप लोगों को उस वक्त नहीं लग पाता है। आप खूबसूरत जगह देखने जाते हो और उस जगह को गन्दा करके लौटते हो हो तो इस तरह तो पूरे भारत में कोई भी स्थान स्वच्छ बचेगा ही नहीं। हमें अपनी इन आदतों को भी छोड़ना होगा। 

 

कचरे के उपुयक्त प्रबंधन के लिए सरकार ने कई कदम उठाये हैं उसमे कचरे को तीन हिस्सों में बांटना शामिल है -१ बायोडीग्रेवाल २ घरेलू कचरा और ३ सूखा कचरा। जगह -जगह सार्वजनिक स्थानों पर डस्टबिन रखना ,प्लास्टिक की बोतल वगैरह अलग से इकट्ठा करना, कचरा बीनने वालों को पेमेंट करना शामिल है। लोगों में व्यवहारिक परिवर्तन लाने के प्रयास करना आदि। 

क्या सफाई सिर्फ सफाईकर्मियों का ही जिम्मा है हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं। हम सिर्फ इसे सफाई कर्मचारियों के भरोसे कैसे छोड़ सकते हैं। हमें अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा बेशक पुरानी आदतों को छोड़ने में थोड़ा वक्त लगता है परन्तु अपनी भलाई के लिए और विश्व में अपने देश की स्वच्छ छवि बनाने के लिए हमें ऐसा अवश्य ही करना होगा। हम सभी भारतीयों को सफाई को एक नियम नहीं बल्कि अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेना चाहिए जब हम बदलेंगे तभी तो देश बदलेगा।

[ये लेखक के अपने विचार हैं ]  

राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला आने के बाद की स्थिति

फैसले की उत्सुकता     चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने ९ नवम्बर २०१९ की सुबह लगभग १०:३० पर जब राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद पर पाँच जजों की ...