Saturday, September 28, 2019

शक्ति की उपासना

This is Indian goddess

शारदीय नवरात्रि {नवरात्रि २०१९ }२९ सितम्बर दिन रविवार से शुरू हो रहे हैं नवरात्रि के साथ ही इस अक्तुबर महीने के त्यौहारों की शुरुआत  हो जाएगी। आदिशक्ति दुर्गा की पूजा ,आराधना ,साधना और उनमें समर्पण का पर्व नवरात्रे कहलाता है जिसमें माँ दुर्गा के ९ रूपों की ९ दिनों तक पूजा -अर्चना की जाती है। देवी माँ के ये ९ दिन बहुत ही सुखद फलदायी होते हैं। पुराणों में मान्यता है की प्रभु श्री राम ने लंका विजय के १० दिन पूर्व इन्हीं नवरात्रों में माता भगवती की पूजा अर्चना की थी। इन ९ दिनों में माँ दुर्गा के ९ रूपों की पूजा की जाती है.

नवरात्रि हिन्दुओं का एक मुख्य और जीवन को सात्विकता और ऊर्जा से भरने वाला त्यौहार है नवरात्रि वर्ष में चार बार आते हैं। पौष ,चैत्र ,आषाढ़ ,आश्विन ,प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि में तीन देवियों दुर्गा ,महालक्ष्मी और महासरस्वती माताओं के ९ रूपों की आराधना की जाती है हर दिन अलग -अलग रंग के परिधान ,अलग -अलग भोग लगाये जाते हैं। । 

शारदीय नवरात्रि को महानवरात्रि भी कहते हैं। ये नवरात्रि शरद माह में आते हैं ,इसलिए इन्हें शारदीय नवरात्रि भी कहते हैं। इसी नवरात्रि में विभिन्न स्थानों पर माँ दुर्गा की सुन्दर -सुन्दर प्रतिमा बनाकर विराजित की जाती हैं,तथा उनका विधिपूर्वक पूजन किया जाता है. रात्रि शब्द सिद्धि का प्रतीक है। भारत में प्राचीन काल से ही हवन ,यज्ञ आदि किये जाते रहे हैं हमारे ऋषि -मुनियों ने दिन की अपेक्षा रात्रि को ज्यादा महत्वपूर्ण माना है ,तभी तो हमारे हिन्दू धर्म में दीपावली ,होलिका दहन ,शिवरात्रि और नवरात्रि आदि उत्सवों को रात्रि में ही मनाया जाता है। गाँवों में आज भी हवन आदि रात्रि में ही किये जाते हैं.लेकिन आजकल शहरों में लोग दिन में ही पूजा -पाठ करा लेते हैं। रात्रि में प्रकृति के बहुत सारे अवरोध ख़त्म हो जाते हैं मंदिरों में घंटे और शंख कीआवाज के कम्पन से दूर -दूर तक वातावरण कीटाणुओं से मुक्त हो जाता है. हवन और यज्ञ से जो धुआँ निकलता है उससे भी वातावरण शुद्ध हो जाता है।

 नवरात्रि उत्सव के साथ मौसम में भी परिवर्तन शुरू हो जाता है शरद ऋतू का आगमन हो जाता है। नवरात्रि का सिर्फ धर्म और आध्यात्म की दृष्टि से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्व है ऋतु बदलने के साथ बहुत से रोगों का भी आगमन हो जाता है जिससे हम शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते हैं। व्रत रखकर मनुष्य अपने शरीर को शुद्ध करते हैं और ऊर्जा प्राप्त करते हैं जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है। स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ्य मन का निवास होता है और स्वस्थ्य मन में ही माँ का निवास होता है।
 
                                                       या देवी सर्वभूतेषु
                                                       शक्ति-रूपेण संस्थिता।
                                                      नमस्-तस्यै नमस्-तस्यै,
                                                      नमस्-तस्यै नमो नमः

 

नवरात्रि में माता शक्ति के रूप में ही पूजी जाती है. कोई भी मनुष्य चाहे कितनी भी शक्तियाँ अर्जित कर ले ,चाहे  वरदान के रूप में या अपनी पूजा पाठ से। अगर उन शक्तियों का गलत इस्तेमाल होगा तो वह तुम्हारे कभी भी उस वक्त काम नहीं आएँगी जब तुम्हें उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होगी जैसे रावण को उसके आखिरी समय में या फिर कंस के आखिरी वक्त में। माता शक्ति उसी का साथ देती हैं जो सच्चाई के रास्ते पर चलता है।    

नवरात्रि भारत के कई राज्यों में अलग -अलग तरीके से मनायी जाती है। गुजरात में नवरात्रि का त्यौहार बड़े ही उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। गुजरात का डांडिया और गरबा पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। गुजराती लोगों का ये सबसे बड़ा त्यौहार है। पश्चिमी बंगाल में दुर्गा-पूजा बंगालियों का सबसे बड़ा त्यौहार है बंगाली माँ काली की पूजा विशेष रूप से करते हैं.बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान किये जाने वाला धनुची नृत्य सबसे खास है धनुची एक प्रकार का मिटटी से बना बर्तन होता है जिसमें नारियल के छिलके जलाकर माँ की आरती की जाती है। लोग दोनों हाथों में धनुची लेकर बैलैंस बनाते हुए नृत्य करते हैं। बंगाली महिलाएं दुर्गा पूजा के दौरान लालपाढ़ वाली सफेद साड़ी पहनती हैं 

दुर्गा पूजा के १०वे दिन दशहरा यानि विजयदशमी का त्यौहार मनाया जाता है और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया जाता है.जैसे माँ दुर्गा ने अत्यंत ही शक्तिशाली राक्षश महिषासुर को ख़त्म करके किया था । इसी तरह आज के समाज में भी बहुत से राक्षस खुलेआम हम लोगों के बीच घूम रहे हैं बस जरूरत है तो उन्हें उखाड़ फेंकने की।और एक नई शक्ति का संचार करने की।   जय माता की। 

{ये लेखक के अपने विचार हैं }  

   

    

Saturday, September 21, 2019

हाउडी ,मोदी

हाउडी ,मोदी ! क्या है -ये हाव डु यू डु  का शार्ट शब्द है ,जिसका मतलब है मोदी जी आप कैसे हो ? २२ सितम्बर दिन रविवार को हूस्टन के एन . आर. जी. स्टेडियम में भारतीय मूल के अमेरिकियों द्वारा आयोजित एक बहुत बड़ी रैली होने जा रही है ये एक प्रवासी भारतीयों का कार्यक्रम है।यह कार्यक्रम भारतीय मूल के अमेरिकियों द्वारा अमेरिका के सांस्कृतिक ,बौद्धिक और सामाजिक परिदृश्य में दिये गए योगदानो की झलक दुनिया को देगा । इस कार्यक्रम की तैयारी लगभग तीन सालों से चल रही है जिसको अब अंतिम रूप दिया जा रहा है । अमेरिका में बसे भारतीय इस रैली को लेकर बहुत ही ज्यादा उत्साहित हैं। ये इवेंट पिछले लगभग १५-२० सालों का इस तरह का सबसे बड़ा आयोजन होगा।  एन . आर. जी। स्टेडियम में दर्शकों के बैठने की क्षमता लगभग ५० -६०हजार के बीच है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी हिस्सा लेंगे । पहली बार मोदी और ट्रम्प २२ सितम्बर को भारतीय मूल के लोगों को सम्बोधित करने के लिए हूस्टन में एक साथ और एक ही मंच पर आएंगे। उस वक्त पूरी दुनिया की निगाहें उस कार्यक्रम पर रहेंगी। इससे पहले अमेरिका के किसी राष्ट्रपति ने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ इस तरह मंच साझा नहीं किया है ।  इस तरह के इवेंट डिप्लोमेटिक तरीके से बहुत असर करते हैं। ट्रम्प अगर मोदी जी के कार्येक्रम में आ रहे हैं तो इसका मतलब है अमेरिका भी भारत से घनिष्ट सम्बन्ध रखना चाहता है और उम्मीद की जा रही है की ट्रम्प इस मंच से कुछ बड़े ऐलान भी  कर सकते हैं। इस कार्यक्रम का शीर्षक साझा सपने , उज्जवल भविष्य है। 

अमेरिका में भारत वंशियों की तादात बहुत ज्यादा है। हर चार में से एक प्रवासी भारतीय है। इस इवेंट के ज़रिये दुनिया के देश भारत के बढ़ते दबदबे को भी देखेंगे और ये भी साबित होगा की अमेरिका की अर्थव्यवस्था में भारतीयों का कितना बड़ा योगदान है जिसे वहां की सरकार भी अनदेखा नहीं कर सकती। अगर कुल संख्या में देखें तो १२.८ % ग्रीन कार्ड धारक हैं, ३०% वैज्ञानिक, ३८% डॉक्टर , ३६% नासा में वैज्ञानिक ,३४% माईक्रोसॉफ्ट  इंजीनियर , २८% आई. बी. एम .।          

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अमेरिका रवाना होने से पहले कहा की 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मौजूदगी एक नया मील का पत्थर साबित होगी। मोदी ने कहा , भारत और अमेरिका साथ काम करके अधिक शांति पूर्ण , स्थिर , सुरक्षित , टिकाऊ और समृद्ध विश्व बनाने में योगदान दे सकते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी यात्रा भारत को नए अवसरों के लिए एक जीवंत भूमि , एक विश्वसनीय सहयोगी और एक वैश्विक नेता के रूप में पेश करेगी।  इससे हमे अमेरिका के साथ हमारे संबंधों को नयी ऊर्जा प्रदान करने में भी मदद मिलेगी । रविवार को वह 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में ५०००० से ज़्यादा भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों को सम्बोधित करेंगे। मोदी वहां संयुक्त राष्ट्र  महासभा के ७४वें  सत्र में भी हिस्सा लेंगे। पीएम मोदी वहां जलवायु पर भी सम्बोधित करेंगे।

भारतीय अर्थव्यवस्था भी इस वक्त काफी संकट से गुजर रहीं है।  वित् मंत्री निर्मला सीतारमन ने जो कई बार फण्ड बाटने की प्रक्रिया की है उसके बाद कुछ विरोधी स्वर भी आ रहे हैं की प्रधानमंत्री स्वीकार कर रहे हैं की अर्थव्यवस्था  चरमरा रही है तभी तो 'हाउडी मोदी' कर रहे हैं। टेक्सास राज्य गैस और ऑयल का बहुत बड़ा हब है।  भारत और अमेरिका परम्परागत वैकल्पिक नवीनीकृत ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग का दायरा कई गुना बढ़ाने वाले हैं। अमेरिकी प्रवास के दौरान अमेरिकी ऊर्जा कंपनियों से होने वाली मुलाकात से ऊर्जा क्षेत्र में बड़े निवेश का रास्ता खुलेगा इससे अरबों डॉलर के नए निवेश की सम्भावना बढ़ेगी। ऊर्जा के परम्परागत साधनो से प्रदुषण रहित ऊर्जा की ओर बढ़ने की भारत की प्रतिबद्धता से दोनों देशों के सम्बन्ध नया मुकाम हासिल करेंगे। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत बहुत ही बड़े स्तर पर कार्य कर रहा है । 

इस इवेंट के ज़रिये राष्ट्रपति ट्रम्प भी अपने लिए कुछ फायदे देख रहे हैं क्यूंकि अगले साल २०२० में अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव होने वाले हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प को पिछले आम चुनाव में भारत वंशियों का सहयोग नहीं मिला था।  ट्रम्प चाहते हैं की आने वाले चुनाव में जो वोट पहले डेमोक्रेटिक पार्टी को मिले थे वो इस बार रिपब्लिकन पार्टी को मिलें। 

अमेरिका में लोग भारत के योग के भी बहुत दीवाने हैं और योग वहां बहुत प्रसिद्ध हो चुका है। लोग योग और प्राणायाम द्वारा अपनी जीवन शैली में सुधार कर रहे हैं। लोगों को यह भी मालूम है की भारत के प्रधानमंत्री सुबह ४ बजे उठ कर सबसे पहले योग और प्राणायाम करते हैं। और यही उनकी ऊर्जा का राज़ है। 

इधर पाकिस्तान का कश्मीर राग अलापना खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है और उसने इस रैली में  बाधा डालने के लिए मस्जिदों में लोगों को एकत्र करना शुरू कर दिया है जिससे वे लोग प्रधानमंत्री मोदी का विरोध प्रदर्शन कर सके।  

इस कार्यक्रम से जो बात निकल के सामने आएगी वो है भारत और अमेरिका के घनिष्ट संबंध ऐसी उम्मीद हम कर सकते हैं। हूस्टन प्रधानमंत्री मोदी के लिए रेड कारपेट बिछा कर तैयार है।  बस अब इंतज़ार है तो पी एम मोदी के पहुँचने का।  

( यह लेखक के अपने विचार हैं )                            

Monday, September 16, 2019

हिंदी राष्ट्र की पहचान

 

 


 

 

 किसी भी राष्ट्र की पहचान उसकी भाषा और  संस्कृति से होती है।  दुनिया में प्रत्येक  देश की अपनी अलग भाषा अलग संस्कृति होती है ,  कोई भी देश तब तक अपना पूर्ण विकास नहीं कर सकता जब तक उसने अपनी मातृभाषा को अधिकारिक भाषा का दर्जा न दिया हो।हिंदी हमारी मातृभाषा है हमें इस पर गर्व होना चाहिये लेकिन दुविधा इस बात की है की हम अन्य देशों में हिंदी की दमदार मौजूदगी से खुश हों या अपने ही देश में उपेक्षा झेलने से दुःखी। हम बेशक बहुत सी भाषायें सीख सकते हैं परन्तु जिस भाषा को मनुष्य बचपन से लेकर बड़े होने तक सुनता है ,समझता है।,सोचता है और बोलता है वही भाषा उसकी रग -रग में समा जाती है। और यदि कोई देश अपनी मूल भाषा छोड़कर आधिकारिक कार्य किसी दूसरी भाषा में करता है तो लोगों की योग्यता का शत -प्रतिशत  उपयोग नहीं हो पाता। आज भारत में लोगों की सबसे बड़ी परेशानी यही है कि ६०% लोग हिन्दीभाषी हैं और आधिकारिक कार्य ज्यादातर अंग्रेजी में ही होते हैं , सरकारी संस्थानों को छोड़ दिया जाय तो स्तिथि कमोबेश यही है। 

संवैधानिक राजभाषा का दर्जा 

१४ सितम्बर १९४९ को हमारी देवनागरी लिपि हिंदी को संविधान के द्वारा आधिकारिक रूप से राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया हमारे देश में कदम -कदम पर बोली बदल जाती हैं । हमारे देश में विभिन्न बोलिओं और संस्कृतियों  का समावेश है। इसलिए जब संविधान सभा को राजभाषा का निर्णय  करना था तो मतभेद तो संभव थे ही ,लेकिन सारी बातों पर विचार करने के बाद सविंधान निर्माताओ ने सर्वसम्मति से हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया। 

हिंदी भाषा का प्रसार 

दुनियाभर में लगभग ६५०० भाषाएँ बोली या पढ़ी -लिखी जाती हैं। भाषाओं के इस मेले में अपनी हिंदी वैश्विक पहचान बना रही है आज आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जायें वहाँ आपको हिंदी बोलने और समझने वाले जरूर मिल जायेंगे।अपनी ही मातृभाषा को लेकर हमलोग असमंजस में रहते थे कि आखिर हर जगह अंग्रेजी की मौजूदगी से हमारी मातृभाषा का प्रचार -प्रसार कैसे होगा?हालांकि हमेशा ही आवाज उठती रही है की सरकारी दफ्तरों ,कार्यालयों , बैंको आदि में अंग्रेजी के बजाय हिंदी में काम किया जाय। अंग्रेज तो देश छोड़कर चले गए परन्तु आज ७० साल बाद भी हमने अंग्रेजी को अपने सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों से विदा नहीं किया। १९९७ में हुए एक सर्वे में पाया गया कि भारत में ६६फीसदी लोग हिंदी बोलते हैं ,जबकि ७७ %इसे समझ लेते हैं। १८०५ में लल्लूलाल द्वारा लिखी गयी पुस्तक 'प्रेमसागर' को हिंदी की पहली किताब माना जाता है। इसका प्रकाशन  फोर्टविलियम कोलकाता ने किया था। सन १९०० में सरस्वती में प्रकाशित  किशोरीलाल गोस्वामी की कहानी 'इंदुमती' को पहली हिंदी कहानी माना जाता है हिंदी में उच्चतर शोध के लिए भारत सरकार ने १९६३ में केंद्रीय हिंदी संस्थान की स्थापना की। देश भर में इसके आठ केंद्र हैं । हिंदी भाषा के प्रचार  और प्रसार में हिंदी फिल्मों का भी बहुत बड़ा योगदान है। ये हिंदी भाषा देशों और अलग संस्कृति  के लोगो को एक दूसरे से जोड़ने का कार्य कर रही है जिस तरह बहता पानी अपना रास्ता खुद बना लेता है ठीक उसी प्रकार भाषा भी सांस्कृतिक ,राजनितिक और व्यवसायिक स्तर पर धीरे -धीरे अपना एक मुकाम हांसिल कर लेती है। 

तकनीकी क्रांति 

इस क्रांति के माध्यम से हिंदी की ऑनलाइन सामग्री से  छोटे शहरों और कस्बो के बच्चों को  पढ़ाई तथा रोजगार सम्बंधित चीजों में बहुत मदद मिल रही है। आज बाजार में स्मार्ट फ़ोन के जरिए शिक्षा व रोजगार से सम्बंधित बहुत से लर्निंग ऐप    आ चुके हैं जिससे बच्चों और युवाओं की भाषा से सम्बंधित परेशानी लगभग दूर हो चुकी है  इ-कामर्स के क्षेत्र में भी हिंदी में एप लॉन्च हो चुके हैं डिस्टेंस एजुकेशन के विद्यार्थी भी अब स्मार्ट क्लासेस के माध्यम से हिंदी या अन्य            भाषाओं में पढ़ाई कर रहे हैं। 

विश्व पटल पर हिंदी 

२३ सितंबर २०१७ यूएन  में विदेशमंत्री  सुषमा स्वराज ने अपने भाषण में कहा था, हिंदी पूरे विश्व में बोली और समझी जाती है तभी तो प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका इंग्लैण्ड ,फ्रांस आदि देशों में अपने भाषण हिंदी में बोलते हैं। दुनियाँ में भारत ही इकलौता देश नहीं है जो हिंदी को अपनी ऑफिसियल भाषा बनाना चाहता है,फिजी मॉरीशस आदि देशों में पहले से ही हिंदी ऑफिसियल भाषा है। जबकि भारत में हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषायें ऑफिशियल हैं हिंदी विश्व के ३० से अधिक देशों में पढ़ी -पढ़ाई जाती है। 

 संयुक्त राष्ट्र में आधिकारिक भाषा का दर्जा 

सयुंक्तराष्ट्र में भी भारत हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए लगातार प्रयासरत है हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने में वहाँ की प्रक्रिया आड़े आ रही है  जिसके तहत यू -एन  के १२९ देशो को खर्च राशि वहन करनी होती है जिसके लिए हम आर्थिक दृष्टि से कमजोर देशों को भी अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए  हमें संयुक्तराष्ट्र  में दो -तिहाई बहुमत हासिल करना होगा और उम्मीद है की हम जल्दी ही सदस्य देशों को इसके लिए राजी कर लेंगे। 

एक भाषा एक देश 

आज हिंदी दिवस पर गृहमंत्री अमितशाह के बयान से देश में बवाल मच गया,''भाषा लोगों को जोड़ने का काम करती है ,जो देश अपनी भाषा नहीं बचा सकता वो अपनी संस्कृति भी संरक्षित नहीं रख सकता।मै मानता हूँ कि हिंदी को बल देना ,प्रचारित करना ,प्रसारित करना ,संसोधित करना ,उसकी व्याकरण का शुद्धिकरण करना ,इसके साहित्य को नए युग में ले जाना चाहे वो गद्य हो या पद्य हमारा दायित्व है। " 

अंत में मै यही कहना चाहूँगी कि हम चाहे कितनी भी भाषा सीख लें परन्तु हमें अपनी मातृभाषा का हमेशा सम्मान करना चाहिए और उम्मीद करती हूँ , कि आने वाले वक़्त में हिंदी इतनी ऊपर उठ जाएगी कि हमें हिंदी दिवस मनाने की जरूरत महसूस नहीं होगी और  हम रोज ही हिंदी दिवस मनाएंगे। 

(यह लेखिका के अपने विचार हैं )

Tuesday, September 10, 2019

चंद्रयान-2 अंतरिक्ष में मिशन शक्ति

 

इसरो का सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी - ३, २२ जुलाई २०१९ को करोड़ों हिन्दुस्तानियों का सपना लेकर उड़ा था।  दशकों की तैयारी में अंतिम चरण की ४८ दिन की यह अनदेखी यात्रा बहुत महत्वपूर्ण थी।  ये एक अहम पड़ाव था और रत्ती भर चूक की कोई गुंजाइश नहीं थी।परन्तु फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना किसी भी भारतीय ने सपने में भी नहीं की थी।  

लैंडर का प्रोग्राम 

शनिवार ७ सितम्बर सुबह १:३० से २:३० के बीच लैंडर विक्रम को चाँद की सतह पर उतरना था। १:४३ बजे पर लैंडर विक्रम की गति कम की गयी और यहीं से लैंडिंग के सबसे मुश्किल १५ मिनट शुरू हुए। १:४९ बजे चाँद से लैंडर केवल १२ किलोमीटर दूर था। १:५० बजे लैंडर महज २ किलोमीटर दूर था। १:५३ बजे तक सब कुछ सही चल रहा था और सभी  वैज्ञानिक बीच बीच में ताली बजा कर अपनी खुशी भी व्यक्त कर रहे थे। और ठीक इसी वकत लैंडर अपना रास्ता भटक गया और थोड़ी देर बाद १:५४ पर लैंडर विक्रम से वैज्ञानिकों का संपर्क टूट गया। और सारे हॉल में ख़ामोशी छा गयी। थोड़ी देर तक वैज्ञानिक लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की  कोशिश करते रहे। वे इस इंतज़ार में रहे की विक्रम का सिस्टम अपने आप ऑन हो जाएगा। यह हुआ जब लैंडर चाँद से २.१  किलोमीटर दूरी पर था।  थोड़ी देर में इसरो चीफ के. शिवन प्रधामंत्री मोदी के पास गए और उन्हें इस रुकावट के बारे में बताया। प्रधानमंत्री जो उस वक्त चंद्रयान - २  मिशन का लाइव टेलीकास्ट इसरो के बेंगलुरु स्तिथ मुख्यालय में देश भर से आए  ७०  बच्चों के साथ देख रहे थे। योजना के मुताबिक लैंडर विक्रम को चन्द्रमा की सतह पर उतरने के बाद वहाँ के वतावरण की जानकारी देनी थी। 

प्रोग्राम में बाधा         

लैंडर विक्रम का संपर्क टूटने की वजह से जो जानकारी हमे प्रज्ञान रोवर के द्वारा मिलनी थी अब वो नहीं मिल पाएगी। हालाँकि जो हमारा ऑर्बिटर चन्द्रमा की कक्षा में अभी भी चक्कर लगा रहा है उसके द्वारा ८ सितम्बर को लैंडर विक्रम की थर्मल इमेज भेजी गयी हैं। और वैज्ञानिकों द्वारा कहा गया है की विक्रम लैंडर पूरी तरह सुरक्षित है और उसमे कोई टूट फूट नहीं हुई है। इस बारे में और अधिक जानकारी आनेवाले टाइम में पता लगेगी की विक्रम से हमारा सम्पर्क हो पाएगा या नहीं।

वैज्ञानिकों का उत्साह वर्जन 

प्रधानमंत्री मोदी ने वैज्ञानिकों को इस चंद्रयान - २  के मिशन की सफलता पर बधाई दी और कहा जीवन में उतार - चढ़ाव आते रहते हैं इसलिए हमे रिजल्ट की परवाह किए बगैरह आगे बढ़ते रहना चाहिए। हमे आपके इस उपलब्धि पर गर्व है। और जो थोड़ी बहुत कमी रह गयी है उसे भी हम जल्द ही हांसिल कर लेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा भारत आज आप सभी की वजह से अंतरिक्ष के क्षेत्र में बहुत बड़ी बड़ी उपलभब्दियाँ हांसिल कर पाया है। ये सब आप लोगों की कठिन मेहनत और लगन का ही परिणाम है। प्रधानमंत्री ने इसरो चीफ के. शिवन को गले लगया और शाबाशी दी।

उम्मीद कायम   

अंतिम क्षाणो में चाँद पर उतरने की देश की उम्मीदों को बहुत बड़ा झटका लगा है परन्तु उम्मीदें अभी भी कायम हैं क्योंकि हमारा आर्बिटर अभी भी अंतरिक्ष में चाँद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है वैज्ञानिक आगे के आँकड़ो का विश्लेषण कर रहे हैं। जिस तरह चंद्रयान-1 ने चाँद पर पानी की खोज की थी ठीक उसी तरह चन्द्रयान -२ भी चाँद के बारे में दुनियाँ को और कई नई जानकारियॉ देगा जिससे आने वाले वक्त में मनुष्य को चाँद की सतह पर उतारने में और वहाँ से वापिस लाने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी। चंद्रयान -२ का आर्बिटर ७ साल तक काम करता रहेगा। ऑर्बिटर में लगे ८ पेलोड चन्द्रमा की सतह पर होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी देंगे। और ये उम्मीद अगले १४ दिनों तक बनी रहेगी क्योंकि पृथ्वी का एक दिन चन्द्रमा के चौदह दिनों के बराबर है जिसके चलते चौदह दिन तक वहाँ रोशनी बनी रहेगी। क्योकि विक्रम लैंडर पर सोलर पैनल लगा है। सोलर एक्सरे मॉनिटर आर्बिटर में है जो चाँद की सतह से टकराकर आने वाले सौर विकिरण की तीव्रता की जानकारी देगा। दो ताकतवर कैमरे आर्बिटर में लगे हैं -हाई रिज़ॉल्युशन कैमरा {ओ एच् आर सी }और टेरेन मैपिंग कैमरा -२ {टीएमसी -२ }दोनों की मदद से चाँद की सतह का थ्री डी नक्शा तैयार किया जायेगा। धातुओं का अध्ययन -ऑर्बिटर में मौजूद सॉफ्ट एक्सरे इसपेक्ट्रोमीटर चाँद मौजूद मैग्निशियम ,एलुमिनियम और हीलियम आदि धातुओं के बारे में पता लगा सकेगा। वहीं इसमें लगा ड्यूल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार चाँद के ध्रुवीय क्षेत्र में मौजूद पानी या बर्फ के बारे में भी बतायेगा। 

भारत का महत्वकांशी मिशन 

 चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत पहला देश है। इससे पहले अमेरिका ,चीन ,रूस ने चाँद के उत्तरी ध्रुव पर  लैंडिग की है और कामयाब भी रहे हैं लेकिन इसी वर्ष ३ जनवरी २०१९ चीन ने चाँद के सुदूर पूर्व में चांग ई -४ चंद्रयान उतारकर एक विशिष्ट उपलब्धि हासिल की है। चंद्रयान -२ भारत का बहुत ही महत्वाकांक्षी मिशन रहा है। चंद्रयान -२ चाँद पर शोध का भारत का दूसरा और उसकी सतह पर उतरने का पहला प्रयास है। इस अभियान की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। यह अभियान हमे दुनिया की सबसे बड़ी और विकसित महाशक्तियों के बराबर खड़ा कर रहा है। चंद्रयान -२ अभियान ने दुनियाँ में भारत का चन्द्रमा के अनदेखे दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र के बारे में जानकारियॉ जुटाना काफी अहम है। प्रश्न यह थे कि क्या चन्द्रमा का दक्षिणी हिस्सा उत्तरी ध्रुव जैसा ही है ? यहाँ का मौसम कैसा है ?यहाँ किस तरह के खनिज हैं ?और सबसे जरूरी कि क्या वहाँ पानी के भण्डार हैं ?यहाँ पानी का मिलना सिर्फ जीवन के लिए ही नहीं अपितु इससे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अलग -अलग करके ईंधन भी बनाया जा सकता है। 

विश्व में देश की साख बनी 

वैसे तो चंद्रयान -२ मिशन का सामाजिक और आर्थिक तौर पर फिलहाल कोई फायदा नहीं मिलेगा पर विश्व में इस मिशन की सफलता से उपग्रह प्रक्षेपण के मामले में भारत आकर्षक देश बनेगा। अन्तरिक्ष या उपग्रह के क्षेत्र में दुनिया के देशों के लिए भारत एक सस्ता और विश्वसनीय देश बन जायेगा। इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने कहा कि चंद्रयान -२ अपने मिशन के ९५% उद्देश्यों में सफल रहा है।     

(यह लेखक के अपने विचार हैं)      

Thursday, September 5, 2019

30 दिन में कश्मीर की बदलती तस्वीर

                          Image result for Kashmir 370         

अनुच्छेद  -३७० व ३५ए ख़त्म होते ही राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा हुआ है। जहाँ कुछ राजनेता इसे एक देश एक संविधान बता रहे हैं वहीं ज्यादातर विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। जानकारो का भी मानना है कि अनुच्छेद ३७०व ३५ए खत्म होने से जम्मू-कश्मीर सही मायनो में अब भारत का अभिन्न अंग बन गया है। देश के अन्य राज्यों में भी लोगों ने बड़े पैमाने पर ढोल नगाड़ो पर नाच गाकर और एक दूसरे को मिठाई खिलाकर अपनी ख़ुशी का इजहार किया देश का प्रत्येक नागरिक यही चाहता था की जम्मू कश्मीर पूर्ण रूप से भारत का हिस्सा बने।  यहाँ मैं डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी के उस नारे का उल्लेख करना चाहूंगी जिसमें कहा गया था कि एक देश में दो विधान ,दो निशान,और दो प्रधान नहीं चल सकते। 

अब अनुच्छेद ३७० का खंड-१ लागू रहेगा शेष खंड समाप्त कर दिए गए हैं खंड -१ भी राष्ट्रपति द्वारा लागू किया गया था। राष्ट्रपति द्वारा इसे भी हटाया जा सकता है। अनुच्छेद के खंड -१ के मुताबिक जम्मू और कश्मीर की सरकार से सलाह कर राष्ट्रपति सविंधान के विभिन्न अनुच्छेदों को जम्मू कश्मीर पर लागू कर सकता है

जम्मू कश्मीर व लद्दाख़ के लोग भी अब शिक्षा के अधिकार ,सूचना के अधिकार जैसे भारत के हर कानून का लाभ उठा सकेंगे। केंद्र सरकार की कैग जैसी संस्था अब जम्मू कश्मीर में भी भिरष्टाचार  पर नियंत्रण के लिए ऑडिट कर सकेंगे। इससे वहाँ भिरष्टाचार पर लगाम लगेगी।

यहाँ मै कॉंग्रेस व कई अन्य पार्टियों के नेताओं की वहाँ जाकर माहौल खराब करने की कोशिश को भी सही नहीं मानती क्योकि किसी भी बड़े ओपरेशन के बाद हालत सामान्य होने में वक्त लगता है और कश्मीर तो ७० साल पुराना मसला है जबकि खुद भारत सरकार के राष्ट्रीय  सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल वहां जाकर लोगो से मिले और उन्हे आश्वासन दिया कि सब अच्छा होगा।

हम सभी जानते हैं कि ये फैसला कश्मीर की जनता के विकास को ध्यान में रखकर ही  लिया गया हैऔर उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री के इस कार्यकाल में ही जम्मू कश्मीर इतनी तरक्की करेगा कि खुद कश्मीर की जनता संचार माध्यमों पर अपनी ख़ुशी का इजहार करते हुए दिखेगी। जम्मू कश्मीर के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के टवीट को पढ़कर राज्य सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने कहा ,वरिष्ठ नेताओ को सामान्य हालात में लौटने की कोशिश कर रहे राज्य की स्तिथि को बिगाड़ने का प्रयास नहीं करना चाहिए। राजनीतिक नेताओं से अनुरोध किया जाता है कि वे सहयोग करें और श्रीनगर का दौरा न करें। 

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद ३७० हटने के लगभग ३० दिन बाद धीरे -धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं। ८०%पाबन्दियाँ हटा दी गयी हैं । स्कूल कॉलेज खोले जा चुके हैं और सड़को पर भी आवाजाही शुरू हो गयी है। लैंडलाइन सुविधायें भी सामान्य हो गयी हैं कुछ दिनों में मोबाइल सेवा भी शुरू कर दी जाएगी ।   प्रशासन का कहना है कि आने वाले समय में तमाम पाबंदियों को हटा लिया जायेगा। 

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद ३७० हटाने के बाद मोदी सरकार ने वहाँ के लिए  एक बड़े पैकेज का ऐलान  किया है। १५००० करोड़ के पैकेज के अलावा राज्य में राजनैतिक प्रक्रिया शुरू करने की दिशा में भी ठोस कदम उठाये गए हैं। राज्य में कश्मीरी युवाओं के लिए ५०००० नौकरियों के ऐलान  के साथ साथ सेना और पुलिस में भी भर्ती के अवसरों को खोला गया है। केंद्र सरकार ने १२ से १४ अक्टूबर के बीच श्रीनगर इन्वेस्टर समिट करने का ऐलान  किया है जिसमे ७५००० करोड़ के निवेश के प्रस्ताव आने का दावा किया जा रहा है। 

गौरतलब है कि नई व्यवस्था के बाद ३१ अक्टूबर को जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो नए केंद्रशासित प्रदेश बन जायेंगे। राज्य में ३१ अक्टूबर  २०१९ से १०६ केंद्रीय कानून पूरी तरह लागु हो जायेंगे लेकिन ३० अक्टूबर तक केंद्र और राज्य के कानून लागु रहेंगे। सरकार वहां ५ अगस्त से लेकर अब तक के हालात से संतुष्ट है और सरकार के लिए सबसे बड़ी राहत की बात है कि अब तक कोई बड़ी अप्रिय घटना नहीं हुई। गृहमंत्री अमित शाह ने ३ सितम्बर मंगलवार को जम्मू कश्मीर से पहुंचे पंच- सरपंचो के प्रतिनिधि मंडल को यह आश्वासन दिया की जम्मू कश्मीर के हर गांव में कम से कम ५ लोगों को सरकारी नौकरी दी जाएगी। गृहमंत्री ने उन्हे पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने के साथ ही सभी पंचो सरपंचो को २ लाख रुपए का बीमा कवर देने का ऐलान  किया है। मंगलवार को जब कश्मीर में नौजवानो की पुलिस भर्ती अभियान शुरू हुआ तो  भारतमाता की जय के नारे लगे और कश्मीर के शांतिप्रिय  लोगों की असल तस्वीर सामने आई। कश्मीर और कश्मीरियत को गले लगाने में कोई सबसे बड़ा रोड़ा था तो सिर्फ और सिर्फ ३७० ही था ।  

        

राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला आने के बाद की स्थिति

फैसले की उत्सुकता     चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने ९ नवम्बर २०१९ की सुबह लगभग १०:३० पर जब राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद पर पाँच जजों की ...