Monday, October 28, 2019

हिंदुत्व पर प्रहार और कीमत

हिंदू हिंदुस्तान में रहकर भी इतना असहाय और निरीह क्यों हो गया है ?आखिर क्या कमियाँ हैं जिसके कारण ये सब हो रहा है ?कमलेश तिवारी हत्याकांड एक बहुत ही बड़े षड्यंत्र की दस्तक दे रहा है,जो हिंदुस्तान में हिन्दुओं के ही खिलाफ रचा जा रहा है.आखिर हिन्दुओं के साथ ऐसी घटनाएँ क्यों घट रही हैं देश के अंदर ऐसी कौन सी विघटनकारी शक्तियाँ हैं जो हिंदुओं के खिलाफ काम कर रही हैं। जमीयत ए उलेमा हिन्द के प्रवक्ता ने कहा ,जमीयत कमलेश तिवारी के हत्त्यारों को मुफ़्त में कानूनी मदद देगी और उनका सारा खर्च उठाएगी। यह खबर उन लोगों के मुँह पर तमाचा है जो भारत में गंगा -जमुनी तहजीब और धर्मनिरपेक्षता की बड़ी -बड़ी बातें करते हैं किसी संस्था द्वारा इस तरह की मदद हिदुस्तान में इस्लामिक कटटरपंथ को बढ़ावा देना है।  सवाल यहाँ ये भी है की क्यो हिन्दू खुद अपने जात -पात ,ऊँच -नीच की विचारधारा में फँसा पड़ा है।

  

भारत में ऐसी हत्या अभी तक नहीं हुई थी.एक राजनैतिक नेता अकबरुद्दीन ने हिन्दुओं का नरसंहार करने की खुली धमकी दी लेकिन फिर से किसी ने कोई प्रतिकिर्या नहीं दी । जब आजम खान ने राम और सीता पर टिप्पणी की ,अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर चल रही बहस पर कॉंग्रेश ने तो खुद हिन्दू होकर भगवान राम को काल्पनिक करार दे दिया। ममता बनर्जी बंगाल में दुर्गा पूजा पर रोड़े अटकाती है ,तो कहने का मतलब ये है की आखिर क्या ये वोट बैंक की राजनीति हिंदुस्तान में हिन्दुओं को ही अल्पसंखयक बना कर दम लेगी।

 

हिन्दू कोई धर्म नहीं बल्कि एक जीवन पद्यति है,जो ५००० से भी ज्यादा वर्षो से निरंतर चली आ रही है जो अपनी प्राचीनता आध्यात्मिकता ,सहिषुणता एवं विविधता में एकता के लिए जानी जाती है सनातन धर्म परम्परा प्राचीन काल से अपनी उदारवादिता और वसुधैव कुटुंबकम की भावना के लिए वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध है।

 

अब से २५ -३० साल पहले कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ उसे पूरे देश ने चुपचाप बर्दाश्त कर लियाकश्मीरी हिन्दू अभी भी शरणार्थी हैं  देश में लगभग ७०%आबादी हिन्दू है ,इस देश में कोई भी मुसलमान चाहे वो कोई नेता हो ,फिल्मी कलाकार हो,या फतवे जारी करने वाले मौलवी हो या कोई आम नागरिक हो ,वे चाहे कुछ भी किसी हिन्दू देवी -देवता के बारे में या किसी खास परिस्तिथि या किसी व्यक्ति विशेष के बारे में अभद्र टिप्पणी करे उनके लिए कोई सजा नहीं है, लेकिन अगर कोई हिन्दू इनके मजहब के बारे में कोई टिप्पणी कर दे तो हत्त्यारे सूरत से आएंगे। हिंदुओं को असहनशील कहा जाने लगेगा। 

 

सवाल यह है की इतने बड़े देश में जहाँ हिंदू बहुसंख्यक हैं और उनकी ही पार्टी मानी जाने वाली भाजपा की सरकार है वहाँ हिन्दुओ की ही सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। काफी वक्त से एक ट्रेंड चला आ रहा है कि किसी भी दूसरी जाति जैसे मुस्लिम या कोई अन्य के सन्दर्भ में कोई भी मामला आते ही कुछ नेता वहाँ उस परिवार के पास झूटी सहानुभूति प्रदर्शित करने पहुँच जाते हैं लेकिन कमलेश तिवारी की हत्या पर न तो राहुल और पिरयंका गाँधी वहाँ सहानुभूति प्रदर्शित करने गए  ,न किसी ने कैंडल मार्च निकाले इसे आप किस दृष्टि से देखेंगे। ये भी एक विचारणीय विषय है 

 

नरेंद्र मोदी की सरकार [२०१४ ]आने से अभी तक तो ये माना जा रहा था की अगर केंद्र में भाजपा की सरकार आ गयी तो तो मुसलमानों पर अत्याचारों की बाढ़ आ जाएगी और देश में उनका जीना दूभर हो जायेगा। लेकिन क्या अभी तक पिछले ५-६ सालों में ऐसा कोई जुल्म ढाया गया है जिससे ये कहा जा सके की नरेंद्र मोदी सरकार मुस्लिम विरोधी सरकार है बल्कि इसके विपरीत यह साबित हुआ है की मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक बिल लाकर और उसे कानून बनाकर जो काम किया है वो तो उनकी सबसे ज्यादा समर्थक माने जाने वाली पार्टी ने भी नहीं किया तो फिर क्यों नरेंद्र मोदी सरकार को मुसलमानों का विरोधी कहा जा रहा था। 

 

यहाँ बात सिर्फ कमलेश तिवारी हत्याकाण्ड की नहीं है बल्कि हिन्दू बहुसंख्यकवाद की है। अगर नरेंद्र मोदी सरकार को हिन्दुओं का समर्थक माना जाता है तो फिर उनके ही राज में हिन्दुओं पर इतने संकटों के बादल क्यों गहरा रहे हैं। पिछले कुछ समय से लगातार देश के विभिन्न भागों में हिन्दुओं के मारे जाने की खबरें आ रही हैं। आखिर क्यों इन हत्याओं की पीछे की वजह और साजिश की गहराई से जाँच और कार्यवाही नहीं की जा रही है ?और ना ही ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाये जा रहे हैं। 

 

अभी साल दो साल पहले ये देश हमारे देश के कुछ बुद्धिजीवी लेखक पत्रकार ,फिल्मी कलाकार और कुछ मशहूर हस्तियाँ को यहाँ असहिषुणता नजर आने लगा था और इस देश में रहने से उनके जीवन को बहुत बड़ा खतरा पैदा हो गया था किंतु अब जब हिन्दुओं के साथ इस तरह की घटनाएँ होती हैं तो आज तक किसी भी हिन्दू के लिए ये देश कभी भी असहिषुण नहीं हुआ.अगर बहुसंख्यक होकर भी हिन्दुओं के साथ इस तरह की घटनाएँ हो रही हैं तो फिर कैसे नरेंद्र मोदी सरकार को एक हिन्दू समर्थक पार्टी का ख़िताब दिया जा सकता है?

 
 

एक प्रश्न यहॉं देश की विपक्षी पार्टी के उन नेताओं के ऊपर भी उठता है की जब भी किसी मुस्लिम या एस सी एस टी या कोई और कास्ट के साथ किसी भी घटना पर उस पीड़ित व्यक्ति के घर नेताओं की सहानुभूति की नौटंकी करने के लिए जो जमावड़ा लग जाता है वे सारे नेता अब कहा चले गए जो किसी एक ने भी वहाँ जाकर शोक व्यक्त नहीं किया। क्या कमलेश तिवारी इनकी नजर में भारतीय नहीं है या इसलिए  कि इस घटना से कोई राजनैतिक रोटियाँ नहीं सिक पायेंगी?

 

प्रधानमंत्री मोदी का देश की जनता के लिए एक ही वादा रहा है -सबका साथ सबका विकास। और इसके लिए उन्होंने देश के गरीब और अमीर हर तबके के वर्ग के लिए हिन्दू हो या मुसलमान सभी के विकास और उन्नति के लिए अवश्य ही बहुत सारे काम किये हैं ,जिसे भारत की जनता समझ भी रही है और इसी एक वजह से उनका समर्थन भी कर रही है किंतु सवाल ये है कि अगर भाजपा की सरकार और मोदीजी के रहते हुए हिंदुओं की इसी तरह हत्त्याए होती रहीं और उन्हें जड़ से खत्म करने के लिए इसी तरह षड्यंत्र रचे जाते रहे जाते रहे और वे लोग कामयाब भी होते रहे तो वो दिन ज्यादा दूर नहीं जब हिन्दू हिंदुस्तान में ही अल्पसंख्यक हो जायेंगे।अंत में मै बस यही कहना चाहूँगी कि भारत एक धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र है हम सभी को इस भावना का सम्मान करना चाहिए।

धन्यवाद  

{ये लेखक के अपने विचार हैं }

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