Saturday, August 17, 2019

चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ की घोषणा

                            

१५ अगस्त २०१९, की सुबह जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने भाषण में चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ की घोषणा की तो भारतीय सेना के तीनो प्रमुखों को अपनी समस्याएँ जो आपसी तालमेल की वजह से जिनका समाधान नहीं हो पा रहा था उनकी होने की उम्मीद नज़र आई । हालांकि नौकरशाही में कुछ लोगों को ये आदेश उस वकत ज़रूर अखरा होगा लेकिन हमारे देश की व्यवस्था और भारत का जनसँख्या की द्रष्टि से एक बड़ा देश होना भी सैन्य व्यवस्था में एकीकरण का होना बहुत ज़रूरी हो गया था ।                                                                

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कारगिल युद्ध के समय जो परिस्तिथियाँ देखीं थी, ये तभी निष्चित हो गया था की तीनो सेनाओं का एकीकरण कितना ज़रूरी है । आजतक इतने बड़े देश की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी रक्षा सचिव के भरोसे चल रही थी और किसी गलती की ज़िम्मेदारी भी उनकी नहीं थी । इसी लिए सेना को चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ की बहुत ज़्यादा ज़रुरत थी । सिर्फ रक्षा सचिव भारत की सुरक्षा का सर्वोच्च नहीं हो सकता ।

आज से २१ साल पहले पोखरण में अटल जी ने कहा था कि क्या तैयारी तभी होगी जब आक्रमण होगा । ४ मई १९९९ को कारगिल सेक्टर के बटालिक क्षेत्र में घुसपैठ के बाद पाकिस्तानी सेना ने ८ से १० किलोमीटर लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल से अंदर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारी गोलीबारी की थी । तब प्रधानमंत्री अटल जी ने सेनाओं के प्रमुखों के साथ जो मीटिंग की उसमे सभी सेना प्रमुखों के मतभेद उभर कर सामने आ गए थे और मीटिंग बेनतीजा रही । यही वजह रही की कारगिल यद्ध की  समाप्ति २५ जुलाई के बाद २९ जुलाई १९९९ को कारगिल युद्ध कमिटी का गठन हुआ । जिसके अध्यक्ष के. सुब्रमण्यम बनाये गए । जिसके द्वारा चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ बनाने की सिफारिश की गयी । परन्तु आज २० वर्षों बाद भी मामला वहीं का वहीं रहा लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की इस घोषणा से तीनो सेनाओ का तालमेल और एकीकरण करने में काफी मदद मिलेगी और ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि नौकरशाही का हस्तक्षेप भी न के बराबर हो ।

निष्चित रूप से सिंगल एडवाइजरी के इस पद का ही यह असर है कि जो परमाणु नीति "नो फर्स्ट यूज़'' भारत ने तय की थी आज १६ अगस्त २०१९ को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बयान आया कि ये परिस्तिथियों पे निर्भर करेगा के हम क्या रुख अपनाएंगे । उम्मीद है की आगे जब भी कोई विषम परिस्तिथि होगी तो तीनो सेनाओं के प्रमुख और प्रधानमंत्री को जो रिपोर्ट चीफ ऑफ़ डिफेन्स द्वारा दी जाएगी उसी के द्वारा कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय देशहित में लिया जा सकेगा क्यूंकि आज कल विश्व में जो युद्ध लड़े और जीते जा रहे हैं वे सभी इसी नीति पर आधारित हैं ।

धन्यवाद                                          

(यह लेखक के अपने विचारों पर आधारित है)

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