Thursday, August 22, 2019

आईएनएक्स मीडिया केस

                                 

 पूर्व वित्तमंत्री और पूर्व ग्रहमंत्री पी० चिदंबरम को सीबीआई ने हाई वोल्टेजड्रामा के बाद कल देर रात उनके घर से उन्हे गिरफ़्तार कर लिया। २५ घंटे से सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की टीम उन्हे आईएनएक्स मामले में तलाश रही थी। तभी सबको चौंकाते हुए वे कांग्रेस मुख्यायल पहुँचे और प्रेस कांफ्रेंस की और अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया। इससे पहले देहली हेइकोर्ट से उनकी याचिका रद्द होने के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हे राहत नहीं मिली। वहाँ से भी वे कांग्रेस के कद्दावर नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल के साथ अपने घर छुपकर चले गए। इसी बीच सीबीआई की टीम भी उनके पीछे पीछे जोरबाग स्तिथ उनके घर पहुँच गयी और दीवार फांदकर उन्हें गिरफ़्तार कर अपने साथ सीबीआई मुख्यायल ले गयी जहाँ पहले से ही सीबीआई निदेशक मौजूद थे। वहाँ उन्हें अतिथिगृह में रखा गया और देर रात तक पूछताछ जारी रही। 




आईएनएक्स मीडिया मामले से जुड़े भ्रष्टाचार व धनशोधन मामले में उच्च न्ययालये ने मंगलवार को सख्त टिपण्णी की। न्याय मूर्ति सुनील गोंड ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि ऐसे मामलों की जमानता देने से समाज में गलत सन्देश जाएगा। इतना ही नहीं न्यायालय ने ये भी कहा की पूर्व वित्तमंत्री और गृह मंत्री होने की वजह से उन्हें इस मामले में कोई ढील नहीं दी जा सकती। न्यायलय ने चिदंबरम की उस दलील को भी ख़ारिज कर दिया की जांच एजेंसियां बदले की भावना से कार्य कर रही हैं।    

यहां ये बताना जरूरी है की ये आखिर पूरा मामला है क्या? १५ मई २०१७ आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया। जिसमें इस समूह पर २००७ में विदेशों से ३०५ करोड़ रूपये लेने के लिए विदेशी निर्देश संवर्धन कानून की मंजूरी हासिल करने में अनियमितता का आरोप लगा। २३ जुलाई २०१८ में चिदंबरम ने प्रवर्तन निदेशालय के धनशोधन मामले में भी अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। २५ जुलाई को दोनों ही मामलों में उच्च न्यायालय ने चिदंबरम की गिरफ़्तारी पर रोक लगाई। २५ जनवरी २०१९ में दोनों ही मामलों में चिदंबरम की  जमानत पर अपना फैसला सुरक्षित रखा और २० अगस्त २०१९ को उच्च न्यायालय ने दोनों ही मामलों में चिदंबरम को अग्रिम जामनत देने से इंकार कर दिया।

ये मामला उस वक्त सुर्खियों  में आया जब शीना बोरा हत्याकांड में पूर्व केंद्रीय मन्त्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ जो केस दर्ज हुआ है ,वह पीटर मुखर्जी की पत्नी इन्द्राणी मुखर्जी के बयान  के आधार पर ही दर्ज हुआ है। 

इन्द्राणी मुखर्जी ने अपने बयान में कहा था कि एफआई पी बी मंजूरी में हुए उन्लंघन को कथित तौर पर रफा दफा करने के लिए १० लाख डॉलर कार्ति की मांग को दंपति ने कबूल कर ली थी। इंद्राणी ११ जुलाई को सी बी आई मामले में इकबालिया गवाह बन गई थी। पीटर मुखर्जी और इन्द्राणी का नाम आईएनएक्स मीडिया द्वारा प्राप्त धन के लिए २००७ में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड [एफआईपीबी ]की अवैध तरीके से मंजूरी हासिल करने से सम्बंधित मामले में सामने आया था। प्रवर्तन निदेशालय ने देहली हाईकोर्ट में अपने मामले पर बहस करने के लिए इन्द्राणी मुखर्जी के बयान को आधार बनाया। 

चिदंबरम इस पुरे मामले के सूत्रधार हैं और यह पहला मामला है की किसी ग्रह मंत्री को ऐसे लाइव भ्रस्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया है। कांग्रेस के अनुसार यह लोकतंत्र पर हमला है। कार्तिक चिदंबरम ने भी कहा की उनके साथ बड़ी नाइंसाफी हो रही है। यह कांग्रेस के लिए और भी नुकसान की बात है की जब कांग्रेस राजीव गाँधी की ७५ जयंती मनाने जा रही है।       

(यह लेखक के अपने विचार हैं) 

 

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